कर्नाटक राज्य बनाने की नई पहल
कर्नाटक स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 1 नवम्बर को मनाया जाता है। कर्नाटक जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। पर 1973 में, पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया था।
ब्रिटिश राज में यहां के लिए 'कार्नेटिक' शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है।
कर्नाटक इतिहास
प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। हड़प्पा में खोजा गया स्वर्ण कर्नाटक की खानों से निकला था, जिसने इतिहासकारों को 3000 ई.पू के कर्नाटक और सिंधु घाटी सभ्यता के बीच संबंध खोजने पर विवश किया। इस भू-भाग का विस्तृत इतिहास है, जिसने समय के साथ कई करवटें बदलीं हैं।
कर्नाटक एकीकरण आंदोलन की शुरुआत
कन्नड़ ध्वज, कन्नड़ संस्कृति के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है। कर्नाटक का ध्वज दो रंग का है। जो राज्योत्सव के दिन कर्नाटका में हर जगह फैराया जाता है । प्राचीन कन्नड़ के आधार पर, लोग मानते हैं कि ध्वज में पीले और लाल रंग अराशिना (हल्दी) और कुमकुम (सिंदूर) का प्रतीक हैं। ये दो पदार्थ कर्नाटक में और कन्नड़ लोगों के बीच शुभता और कल्याण का प्रतीक हैं।
1 नवंबर 1956 को कर्नाटक के एकीकरण के लिए बीज पहली बार धारवाड़ में बोए गए थे। 20 जुलाई, 1890 को, कर्नाटक विद्यावर्धन संघ (केवीएस) की स्थापना आर एच देशपांडे ने की थी, जो अंततः कर्नाटक की भाषा और संस्कृति के बारे में बढ़ती चेतना का केंद्र बन गया। और अलुरु वेंकट राव पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1905 में कर्नाटक एकीकरण आंदोलन के साथ राज्य को एकजुट करने का सपना देखा था। 1950 में, भारत एक गणतंत्र बन गया और देश में विशेष क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के आधार पर विभिन्न प्रांतों का गठन किया गया और इसने मैसूर राज्य को जन्म दिया, जो पहले कन्नड़ सहित दक्षिण भारत में विभिन्न स्थानों पर राजाओं द्वारा शासित था। आज का वर्तमान कर्नाटक राज्य आजादी के समय 20 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रान्तों में बंटा था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और निज़ामो की हैदराबाद रियासत भी शामिल थीं। लेकिन स्वतंत्रता के बाद, जब 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिलाये गये। इससे लोगों में हिंसा की आग भड़क उठी और उनका आन्दोलन विद्रोह पर उतर आया। और आखिरकार, सरकार ने भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ़ मैसूर की स्थापना की। और इसमें सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में विलय कर दिया गया। साल 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ़ मैसूर से बदल कर कर्नाटक रखा गया। उस समय राज्य के मुख्यमंत्री देवराज उर्स थे।
राजोत्यसव
राजोत्सव दिवस पूरे कर्नाटक राज्य में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूरे राज्य में एक उत्सव जैसा नजारा देखने को मिलता है क्योंकि राज्य भर के विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर लाल और पीले रंग के कन्नड़ झंडे फहराए जाते हैं और कन्नड़ गान (" जया भारत जननी तनुजते ") का जाप किया जाता है। राजनीतिक दलों के कार्यालयों और कई इलाकों में भी झंडा फहराया जाता है, और इस दिन कर्नाटक की सरकर कर्नाटक के विकास में महान योगदान के लिए जिम्मेदार लोगों को सम्मानित करती है।
** कर्नाटक ध्वज**