राष्ट्रीय कानून दिवस

भारत में हर साल 26 नवम्बर को "राष्ट्रीय कानून दिवस" अथवा "राष्ट्रीय विधि दिवस"के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाया गया था। "विधि दिवस" मनाये जाने की परम्परा सर्वप्रथम भारत के प्रख्यात विधिवेत्ता डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट बार एशोशिएशन द्वारा सन 1979 में प्रारंभ हुई। तब से हर साल यह दिवस पूरे भारत में राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को भारतीय "संविधान दिवस" के रूप में भी जाना जाता है।
राष्ट्रीय कानून दिवस; स्त्रोत: शेयरब्लास्ट.कॉम

राष्ट्रीय कानून दिवस; स्त्रोत: शेयरब्लास्ट.कॉम

26 नवंबर देश के लिए सबसे बड़ा दिन है। इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस तो कहा जाता है साथ ही इसे संविधान दिवस भी कहा जाता है। दरअसल 1949 में 26 नवंबर ही वो खास दिन था जिस दिन संविधान को देश के समक्ष पेश किया गया था। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। लेकिन कानून बनने के बाद ही एक्ट लागू कर दिए गए थे। इसलिए कानून दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

"जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं करते हैं, कानून द्वारा जो भी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है, वह आपके किसी काम की नहीं है।" -बी.आर अम्बेडकर

भारत का संविधान तैयार करने में लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा और कुल अनुमानित खर्च करीबन 63,96,729 रुपये था।

मूल संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। लेकिन संविधान में हुए संशोधनों के बाद अब इसमें 448 अनुच्छेद (Article) और 12 अनुसूचियां (Schedules) हैं।

भारत का संविधान बेहद लचीला (flexible) है। अब तक इसमें 103 संशोधन किए जा चुके हैं। जिसके लिए अब तक 124 संविधान संशाेधन विधेयक पारित हुए हैं। संविधान का पहला संशोधन 18 जून 1951 को किया गया था।

राष्ट्रीय कानून दिवस का उद्देश्य

संविधान दिवस पर स्कूलों, कॉलेजों एवं शैक्षणिक संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम तथा भाषण, निबंध एवं वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती है। साथ ही इस दिन भारतीय संविधान की प्रस्तावना एवं मौलिक कर्तव्य की जानकारी को लोगों को सरल भाषा में समझाने का कार्य भी किया जा सकता है।

संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है, अपने नागरिकों के न्याय, समानता और स्वतंत्रता का आश्वासन देता है और बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। भारतीय संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा क्योंकि भारत एक सफल लोकतंत्र रहा है, कई अन्य देशों के विपरीत जो एक ही समय में स्वतंत्र हो गए थे।

हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। जिसे बनाने में अहम भूमिका डॉ. भीम राव अंबेडकर की हैं। जिन्होंने संविधान को आम सहमति से बनाया है बजाए के बहुमत के। डॉ भीमराव अंबेडकर के अलावा जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्‍लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद की अहम भूमिका रही। विश्व का सबसे बड़ा संविधान लिखने के पहले डॉ भीमराव अंबेडकर ने गहराई से अध्ययन किया था। इसके बाद 10 देशों से अलग-अलग नियम और प्रक्रिया को लिया। इस तरह करीब 1 लाख 40 हजार शब्दों से भारत का संविधान तैयार किया गया। इस तैयार किए गए मसौदे को कानून दिवस के साथ ही संविधान दिवस भी कहते हैं।

वर्ष 2015 को मनाया गया पहला संविधान दिवस

भारत के संविधान को बनाना इसलिए जरूरी था क्‍योंकि करीब 200 साल बाद अंग्रेजों के हुकूमत का कार्यकाल खत्म हुआ था। इसके बाद देश को ऐसे नियम, कानूनों की जरूरत थी ताकि देश में रहने वाले लोग, विभिन्न धर्मों के बीच एक समानता और एकता हो । ताकि देश में रहने वाले भिन्‍न-भिन्‍न लोगों को समाज, आयु, वर्ग बिना किसी भेदभाव के समानता के अधिकार के साथ रह सकें।

"लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों में स्वतंत्रता, स्वाभिमान और अपनी एकता की गहरी भावना होनी चाहिए, और अपने प्रतिनिधि के रूप में केवल ऐसे व्यक्तियों को चुनने पर जोर देना चाहिए जो अच्छे और सच्चे हों।" - महात्मा गांधी

दरअसल, 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार किए गए संविधान दिवस को 26 नवंबर 1949 को ही विधिवत तरीके से अपनाया गया था। और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के बारे में पता होना चाहिए। इसके बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया।

19 नवंबर 2015 के दिन केंद्र सरकार के सामाजिक न्‍याय मंत्रालय द्वारा यह फैसला लिया गया कि 26 नवंबर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू की जाएगी और इसके बाद से हर साल संविधान दिवस मनाया जाता हैं। इस दिन के बारे में घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर, 2015 को स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी की आधारशिला रखते हुए की थी।

भारत में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया जाता है तो वहीं 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जाता है, यह दिन भारत के संविधान का महत्व बताने और इसके रचयिता डॉ. बी. आर. आंबेडकर जी के इसे बनाने में दिए गए सहयोग को याद करने तथा संविधान को निर्मित करने वाली संविधान सभा के उन 207 सदस्यों के अतुलनीय योगदान को सम्मान देने के मकसद से मनाया जाता है।

भारतीय संविधान के रोचक तथ्य

भारत का संविधान दुनिया के सभी संविधानों को बारीकी से समझने और परखने के बाद बनाया गया है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसकी मूल प्रतियाँ (हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में) पेन की मदद से ‘प्रेम बिहारी नारायण रायजादा‘ ने अपने हाथों से लिखी थी। इसके लिए किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंटिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग‘ वाक्य से शुरू होती है, तथा यह घोषणा करती है कि सविधान को सभी शक्तियां जनता से प्राप्त होती हैं।

संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना 29 अगस्त 1947 को की गई थी। जिसमें सदस्यों की कुल संख्या 389 थी, परंतु देश बंटवारे के बाद यह संख्या घटकर 299 ही रह गयी थी।

भारतीय संविधान के लेखन के दौरान इसमें आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरीका, ब्रिटेन और फ्रांस के कानूनों को समाहित (synthesize) किया गया था। भारतीय कानून, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार और वातावरण संम्बधी दिशानिर्देशों के अनुरूप है। इसमें कुछ अंतरराष्ट्रीय कानूनों, जैसे बौधिक अधिकारों आदि, को भारत में लागू किया गया है।

संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, जिसके 2 दिन बाद भारतीय संविधान को लागू किया गया।

पंडित नेहरू संविधान सभा में हस्ताक्षर करते हुए; स्रोत : द हिन्दू

पंडित नेहरू संविधान सभा में हस्ताक्षर करते हुए; स्रोत : द हिन्दू

संविधान सभा के सदस्य; स्त्रोत: एनबीपीजीआर

संविधान सभा के सदस्य; स्त्रोत: एनबीपीजीआर

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