अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस
हर साल 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है
।हर साल 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस बात के लिए शिक्षित करना है कि हर प्रवासी का सम्मान के साथ व्यवहार करना मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।
इतिहास
18 दिसंबर 1990 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सभी प्रवासी कामगारों के अधिकारों और उनके परिवारों के सदस्यों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय अभिसमय को अपनाया था। 4 दिसंबर 2000 को, UNGA ने दुनिया में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को मान्यता देते हुये 18 दिसंबर को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी।
प्रवासन के कारण
प्रवसन के कारणों में प्राकृतिक आपदाएं और राजनैतिक या किसी अन्य तरह का संघर्ष एक अभिशाप की तरह होता है। कहीं किसी देश में किसी समुदाय विशेष के लोग अपना घर छोड़ने पर विवश हो जाते हैं तो कई जगह लोग केवल बेहतर जीविकोपार्जन के लिए ही दूसरी जगहों की ओर रुख करते हैं। इसमें स्वेच्छा से लेकर प्राकृतिक आपदा, आर्थिक चुनौती, चरम गरीबी और विवादित संघर्ष शामिल हैं। साल 2020 में करीब 28.1 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी थे, जो वैश्विक जनसंख्या का 3.6 प्रतिशत है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों या उनके जन्म के देश के अलावा किसी अन्य देश में रहने वाले लोगों की संख्या 2019 में 272 मिलियन तक पहुंच गई थी। जिनमे महिला प्रवासियों की कुल संख्या का 48 प्रतिशत है तथा अनुमानित उनमें से 38 मिलियन बच्चे हैं। दुनिया भर में लगभग 31 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय प्रवासी एशिया में, यूरोप में 30 प्रतिशत, अमेरिका में 26 प्रतिशत, अफ्रीका में 10 प्रतिशत और ओशिनिया में 3 प्रतिशत हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से पिछले कई वर्षों में प्रवासन उत्पादन प्रक्रियाओं, प्रदान की गई सेवाओं के प्रतिमान में बदलाव और विभिन्न आर्थिक क्षेत्राधिकारों में मांग और अवसरों में वृद्धि के कारण देखा जाता है।
प्रवासन और भारत
भारत सबसे बड़ा प्रवासी देश है और कई देशों में अत्यधिक कुशल श्रमशक्ति की आपूर्ति करता रहा है। वर्ष 2018 तक भारत से प्रवासी लगभग 193 देशों में गए।2020 तक लगभग 281 मिलियन लोग अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी थे, जो कुल वैश्विक आबादी के 3.6% का प्रतिनिधित्व करते थे। भारत के बाहर प्रवासी भारतीयों को सबसे जीवंत माना जाता है। यह स्थानीय समुदायों की अर्थव्यवस्थाओं में कई तरह से योगदान देता है और धन का प्रत्यावर्तन भी करता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन की चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है।
हालाँकि कोविड-19 महामारी के कारण से धन धीमी गति से प्रत्यावर्तित हुआ किंतु फिर भी अंतर्देशीय प्रवासन से प्रत्यावर्तित धन ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
भारतीयों ने केन्या या युगांडा जैसे उन देशों में सहायता प्रदान करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है जहाँ अशांति/संघर्ष की स्थिति है।
चुनौतियाँ
1.जबकि जो लोग गरीब हैं या हाशिये पर हैं, उनके लिये इनमें से कई देशों में प्रवेश करना इतना आसान नहीं है। यदि प्रवेश मिल भी जाए तो वे अन्य लोगों से घुल-मिल नहीं पाते हैं।
2.कई बार मेजबान देश आसानी से प्रवासियों को स्वीकार नहीं करते हैं और वे हमेशा दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में बने रहते हैं।
3.प्रवासी श्रमिक अपने राजनीतिक अधिकारों, जैसे वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने से वंचित हो जाते हैं।
इसके अलावा पता प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, वोटर आईडी और आधार कार्ड प्राप्त करने की सुलभता में कमी, जो उनके प्रवासन के कारण मुश्किल है, उन्हें कल्याणकारी योजनाओं एवं नीतियों तक पहुँचने से वंचित करते हैं।
उपचार
भारत में आर्थिक विकास आज श्रम की गतिशीलता पर टिका है। प्रवासी श्रमिकों का राष्ट्रीय आय में योगदान बहुत बड़ा है, लेकिन उनकी सुरक्षा और कल्याण के बदले बहुत कम किया जाता है।
प्रवास को अधिक गरिमापूर्ण और पुरस्कृत अवसर में बदलने के लिए एक आसन्न आवश्यकता है। इसके बिना, विकास को समावेशी , सतत बनाना बहुत दूर का सपना होगा।