अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस
शायद ही भारत में कोई घर ऐसा होगा, जहां दाल का सेवन न होता हो; यहां लगभग हर घर में हर दिन दाल जरूर बनती है और जब हम बात दाल की करते हैं तो दिमाग में भरपूर मात्रा में प्रोटीन वाला आहार याद आता है। अब दाल भारतीयों के भोजन का कितना बड़ा हिस्सा है, इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते है कि भारत विश्व में दालों का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है और खपत भी। अब जब दाल प्रोटीन का अहम स्तोत्र हैं तो इसे विश्व भर में लोगों से अवगत करना भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में हर साल 10 फरवरी को‘अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस मनाने का फैसला पहली बार साल 2016 मे लिया गया था। इसे अमरीका की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा स्थापित किया गया। अब भले ही अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस मनाने का फैसला पहली बार साल 2016 में लिया गया हो, लेकिन इसे पहली बार 10 फरवरी 2018 में मनाया गया था।
इसे लेकर विश्व भर में कई आयोजन भी किए जाते हैं जिसमें दाल के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दलहन पैदावार को बढ़ाना है, लेकिन जहां आज आधुनिकता की रेस में लोग फास्ट फूड की तरफ रुख करने लगे है उससे दालों का प्रयोग बहुत कम हो गया है। ऐसे में हमारे शरीर को पोषण नहीं मिल पा रहा है। अब लोगों के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के लिए दाल कितनी जरूरी है, इस बात को भी लोगों तक पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस मनाया जाता है।
अब जैसा की हमने आपको पहले भी बताया कि भारत विश्व में दालों का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है। दरअसल विश्व में पैदा होने वाली कुल दालों का 24 फीसदी उत्पादन भारत करता है। इस तरह भारत दालों का उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश है, और जितना उत्पादन ये करता है वैसी ही है इसकी खपत, यानी भारत की सालाना दलहन की मांग करीब 250 लाख मीट्रिक टन है।
भारत ने दलहन में लगभग आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, ऐसे में बीते पांच-छह साल मेंदलहन उत्पाद यहां लगातार बढ़ा है। दलहन के इतिहास में साल 2017-18 ऐसा वर्ष है जब भारत ने दलहन उत्पादकता 140 लाख टन से बढ़कर सबसे ज्यादा 254.1 लाख टन हो गया था। वही भारत साल 2019-20 में दाल का उत्पादन 23.15 मिलियन टन रहा, जो विश्व का 23.62% है। वही साल 2020-21 के दौरान 2,116.69 करोड़ रुपए 296,169.83 मीट्रिक टन दालों का विश्व भर को निर्यात भी किया गया था।
भारत में दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है। दालें उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने को लेकर सरकार कई योजनाएं भी चला रही है। इनमें किसानों को अच्छी किस्मों के बीज देना प्रमुख है। इतना ही नहीं बल्कि सरकार ने साल 2021 में इस योजना पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए थे। जिसके परिणाम भी साल 2022 में सामने आए। साल 2022 में दलहन उत्पादन क्षेत्र में करीब 50 हजार हेक्टेयर की बढोतरी हुई थी।
दलहन उत्पादन क्षेत्रों की बात करे तो वर्तमान में दाल के प्रमुख उत्पादक छह राज्य हैं जिनमें मध्य प्रदेश की 24%, महाराष्ट्र की 14%, राजस्थान की 6%, आंध्र प्रदेश की 10%, कर्नाटक की 7% और उत्तर प्रदेश की 16% की हिस्सेदारी है, बाकि गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखण्ड जैसे राज्यों से भी इसकी बड़ी हिस्सेदारी है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि दाल खाने और उगाने के मामले में भारत का कोई मुकाबला नहीं है।
वैसे जिस देश में भोजन के लिये दाल-रोटी का मुहावरा दिया जाता हो, जिस देश की संस्कृति में दाल एक अभिन्न अंग हो, उस देश में दाल का महत्व क्या होगा, यह बात शायद बताने की जरूरत नही है।