अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक हेल्थ कवरेज दिवस
12 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक हेल्थ कवरेज दिवस' मनाया जाता है।
12 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक हेल्थ कवरेज दिवस' मनाया जाता है। विश्व में कही भी हर व्यक्ति को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए सभी देशों में मजबूत और लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों को स्थापित करना और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) को प्राप्त करने की कोशिश करने हेतु सहमत हुए हैं।
सार्वभौमिक हेल्थ कवरेज
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) का मतलब देश के किसी भी भाग में बसे नागरिक की आय के स्तर, सामाजिक स्थिति, लिंग, जाति या धर्म के बिना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित करना है। इसमें रोकथाम, उपचार एवं पुनर्वास देखभाल शामिल हैं।
इतिहास
दिसंबर 2012 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें देशों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए कहा गया तथा अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए एक आवश्यक भी है जिस कारणवश इसको 12 दिसंबर 2017 को लाया गया।
थीम
सभी के लिए स्वास्थ्य: सभी को सुरक्षित रखें-Health for All: Protect Everyone” है। इस वर्ष की यह थीम कोरोना वायरस के महामारी के अनुरूप है जिसका उद्देश्य इस संकट को समाप्त करने और एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का निर्माण करने के लिए, हमें उन स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश करना चाहिए जो हम सभी की रक्षा करें।
दुनिया की आबादी का लगभग आधा हिस्सा आज भी स्वास्थ संबंधी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं। 2017 में, लगभग 5.4 मिलियन बच्चों की मृत्यु उनके पांचवें जन्मदिन तक पहुंचने से पहले हो गई थी। 14 में से 1 बच्चे की पांच साल की उम्र तक पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है। यह बैठक इस दिशा में स्वास्थ्य एजेंडे के लिये अधिकतम राजनीतिक समर्थन जुटाने और एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से स्वास्थ्य क्षेत्र में सतत् निवेश बनाए रखने पर विचार करने का अवसर प्रदान करती है।
प्रमुख बाधाएँ
1.डिजिटल स्वास्थ्य और अभिनव प्रौद्योगिकियों तक पहुँच का अभाव आदि।
2.अच्छी गुणवत्ता वाली दवाओं और चिकित्सा उत्पादों का महँगा होना एवं सीमित रूप से उपलब्धता।
3.स्वास्थ्य खर्च में आउट-ऑफ़-पॉकेट व्यय का अधिक होना।
4.अवसंरचनात्मक और बुनियादी सुविधाओं की अपर्याप्तता।
भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं
देश में प्रत्येक 1,445 लोगों में केवल एक डॉक्टर है जबकि डबल्यूएचओ का मानदंड1,000 लोगों पर एक डॉक्टर है। डब्ल्यूएचओ अध्ययन के मुताबिक भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य-श्रमिक पर्याप्त रूप से योग्य नहीं हैं। 2018 में भारत का जन स्वास्थ्य खर्च, जीडीपी का 1.28% था। विश्व बैंक के अनुसार, 2017 में भारत की 62.4% जनसंख्या ऐसी थी जिसके पास कोई स्वास्थ्य बीमा कवर नहीं था।
भारतीय पहल
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
जननी सुरक्षा योजना
मिशन इन्द्रधनुष
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) -2017
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY)
कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIS)
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस)
आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (AB-NHPM)