इस तरह जीत गए थे गणेश कार्तिकेय से।
कार्तिकेय, गणेश के बड़े होने के पक्ष्चात माता पार्वती और पिता शिव उनके विवाह के बारे में विचार करने लगे। इतने में वहां नारद जी भी पहुंच गए। शिव जी ने जब उनके आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया की वह तो बस उनके दर्शन हेतु ही आये हैं। कार्तिकेय उम्र में गणेश से बड़े थे तो ज़ाहिर था की उनका ही विवाह पहले होगा।
लेकिन जैसे ही गणेश जी को यह पता चला की कार्तिकेय का विवाह पहले होने वाला है, तो वो भी विवाह करने की ज़िद करने लगे। माता पार्वती ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, कि कार्तिकेय तुमसे उम्र में बड़े हैं और बड़े भाई का विवाह पहले होना चाहिए। लेकिन गणेश कहाँ मानने वाले थे, वो तो ज़िद ले कर बैठ गए कि उनका ही विवाह पहले होना चाहिए।
बहुत समझाने पर भी जब गणेश जी नहीं माने तो शिव पार्वती ने फैसला किया कि गणेश कि शादी पहले करवा देते हैं। पर जैसे ही ये बात कार्तिकेय को पता चली तो अब वो नाराज़ हो गए। माता पार्वती और शिव दोनों ही बड़े परेशान हो गए।
बहुत सोच विचार के बाद दोनों माता पिता ने एक उपाए निकाला। उन्होंने जानना चाहा कि दोनों कार्तिक और गणेश में से विवाह के योग्य कौन है। जिसका फैसला उन्होंने कुछ ऐसे करना चाहा कि दोनों पुत्रो में से जो भी पृथ्वी का परिक्रमा पहले लगाएगा उसी कि शादी पहले होगी।
यह सुनकर कार्तिकेय तुरंत अपनी तेज़ सवारी मोर पर बैठकर उड़ चले जाते हैं, छोटे गणेश जी वही खड़े-खड़े ये सोचते हैं कि भइया कार्तिकेय का वाहन तो बहुत तेज़ है आखिर मैं उनकी बराबरी कैसे कर पाऊंगा। मेरा वाहन तो एक चूहा है और वो बहुत छोटा है उसे तो पृथ्वी का चक्कर लगाने में न जाने कितने दिन लग जाएंगे।
भगवन शिव, माता पार्वती और नारद जी चुप चाप खड़े गणेश को युहीं देखते रहे। गणेश जी ने बहुत सोचा और फिर उन्हें अचानक कुछ समझ आया और वो बहुत खुश हो उठे। सब उन्हें देख बड़े हैरान हुए।
भगवन गणेश पृथ्वी कि ओर न जाकर कैलाश पर्वत पर बैठे अपने माता पिता कि ओर चल देते हैं और उनके चक्कर काटना शुरू कर देते हैं। उधर तेज़ी से जाते हुए कार्तिकेय अपनी परिक्रमा पूरी कर लौट आते हैं। वो वापस आकर देखते हैं कि गणेश तो वहीँ बैठा है, उनको लगता है कि यह शर्त हार मान कर यहां से कहीं गया ही नहीं। कार्तिकेय शिव के पास जाकर बोलते हैं कि मैं पृथ्वी का चक्कर काट आया हूँ और अब शर्त अनुसार मेरा विवाह ही पहले होना चाहिए।
कार्तिक कि बात सुनकर शिव मुस्कुराये और उन्होंने कहा कि गणेश ने तुमसे पहले ये शर्त पूरी कर दिखाई है और उसकी ही शादी पहले होगी। कार्तिकेय हैरान हो गए, ये कैसे हो सकता है? गणेश मुझसे पहले उस चूहे कि सवारी कर पृथ्वी कि परिक्रमा कैसे कर सकता है?
उसने कहा कि मैंने तो पुरे रास्ते गणेश को अपने आस पास या मुझसे आगे निकलते हुए नहीं देखा, फिर ये कैसे हो सकता है? भगवान शिव ने कार्तिक कि सारी बातें ध्यान से सुनी और फिर उन्होंने बोला की तुम सब सही कह रहे हो कार्तिक, तुमने पूरी ईमानदारी के साथ यह शर्त पूरी कि है।
उन्होंने बताया कि गणेश ने हमारी परिकर्मा कि है। हमारे शास्त्रों के मुताबित माता पिता का स्थान पृथ्वी से ऊपर माना गया है, इसके अनुसार गणेश ने हमारी परिक्रमा कर ये शर्त तुमसे पहले जीत ली और अब शर्त अनुसार उसका ही विवाह पहले होगा।
आगे चलकर भगवन गणेश का विवाह श्रिध्दि और बुद्धि नामक दो स्त्रियों से हुआ। शर्त के बाद कार्तिकेय इतने नाराज़ हो गए कि वह कैलाश पर्वत छोड़कर जाने लगे। भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयास किया परतुं कार्तिक फिर भी नहीं माने और उठकर क्रोौंच पर्वत पर चले गए।