उपभोक्ता अधिकार दिवस

भारत में हर साल 24 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
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जब व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा का मूल्य देकर उसे प्राप्त करके उपभोग करता है अर्थात लाभ लेता है। तो वह उपभोक्ता कहलाता हैं। अन्य शब्दों में किसी वस्तु या सेवा का प्रतिफल चुकाकर उसे प्राप्त कर अंतिम उपयोगकर्ता उपभोक्ता कहा जाता हैं। भारत में हर साल 24 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। भारत में हर वो नागरिक उपभुक्ता है जो भारत के अंदर पैसे देकर कोई सामान और सेवा खरीद रहा है।

थीम

कंज्यूमर इंटरनेशनल ने सोमवार को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 की थीम "फेयर डिजिटल फाइनेंस" की घोषणा की. वैश्विक उपभोक्ता वकालत आंदोलन हर जगह उपभोक्ताओं के लिए उचित डिजिटल वित्त का आह्वान करेगा।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम

पहली बार 1986 में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया। यह विश्व उपभोक्ता दिवस से अलग है, जो हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में लागू हुआ। 2019 में, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संशोधित किया गया था। बाद में, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 20 जुलाई, 2020 को लागू होने वाले CPA 2019 बिल की घोषणा की।इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना शामिल है। इस अधिनियम में ये प्रावधान है कि उपभोक्ता को कई तरह की अधिकारों की गारंटी दी जाएगी जैसे सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, पसंद का अधिकार , सुनवाई जाने का अधिकार, निवारण का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार। सरकार द्वारा जारी ये नए नियम अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी लागू होती है। नियमों के मुताबिक कंपनी को प्रोडक्ट के मैन्युफैक्चर होने की जगह से लेकर उसकी वारंटी, गारंटी, एक्सपायरी डेट और कस्टमर केयर नंबर तक की जानकारी देनी होगी। अगर सरकार द्वारा नियमों का पालन नहीं किया गया तो उसमें नकली और मिलावटी सामान बेचने वाले को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

इस अधिनियम से प्राप्त होने वाले लाभ:

1.भ्रामक विज्ञापनों और उत्पादों में मिलावट की रोकथाम के लिए कठोर सजा का प्रावधान।

2.नए युग के उपभोक्ता मुद्दों- ई कॉमर्स और सीधी बिक्री के लिए नियमों का प्रावधान।

3.इससे पहले न्याय के लिए उपभोक्ता के पास एक ही विकल्प था, जिसमें काफी समय लगता है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के माध्यम से त्वरित न्याय की व्यवस्था की गई है।

4.मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के शीघ्र निपटान की गुंजाइश

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