दंत चिकित्सा दिवस
एक खूबसूरत मुस्कुराहट किसी का भी दिल जीत सकती है और ये मुस्कुराहट तब ही बनी रह सकती है जब आपके दांत सेहतमंद हो। इसलिए भारत में हर साल 6 मार्च को राष्ट्रीय दंत चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में 19वीं सदी के दौरान चिकित्सा में क्षेत्र में ज्यादा कार्य नहीं किया गया था और दंत शिक्षा जैसे मत्त्वपूर्ण विषय पर तो शिक्षा और अनुसंधान दोनों ही विषयों का बहुत अभाव था। लेकिन पहली बार वर्ष 1920 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में मेडिकल छात्रों के लिए एक पाठ्यक्रम के विषयों के रूप में दंत चिकित्सा को आरंभ किया गया। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ आयोवा से डेंटल डिग्री लेकर लौटे डॉ रफ़ीउद्दीन अहमद ने भारत में पहला डेंटल कॉलेज खोला।
वर्ष 1920 भारत में दंत चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समय रहा है, क्योंकि इस वर्ष चिकित्सा विज्ञान की एक अलग शाखा के रूप में दंत शिक्षा को व्यवस्थित करने के लिए पहला ठोस कदम उठाया गया था। कलकत्ता में डॉ रफ़ीउद्दीन अहमद द्वारा पहला डेंटल कॉलेज स्थापित किया गया, जिसका पहले नाम ‘कलकत्ता डेंटल कॉलेज’ रखा गया था। इसके कुछ वर्ष बाद
सन 1925 में "द बंगाल डेंटल एसोसिएशन" की बुनियाद रखी गई जो वर्ष 1928 के बाद से "द इंडियन डेंटल एसोसिएशन" के नाम से जाना गया।
इसलिए यह दिन दंत चिकित्सकों को समाज में उनके योगदान की सराहना करने और साथ ही मौखिक स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। इस दिन दंत चिकित्सक लोगों को दांतों की किस तरह से देखभाल करनी है, उसके प्रति जागरूक भी करते हैं, ताकि लोग अपने दांतों की देखभाल करने के तरीके के बारे में अधिक जान सकें।
वैसे भी हर व्यक्ति के लिए उसके दांत कितने कीमती होते है- यह बताने की आवश्यकता नहीं है, ऐसे में दांतों को स्वस्थ रखने वाले डेंटिस्ट को यह दिन समर्पित होता है। इसके साथ ही यह सभी को नियमित डेंटल चेकअप के महत्व को समझाने एवं दांतो की सही तरीके से देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करने का भी दिन है।
डॉ रफ़ीउद्दीन अहमद को भारत में आधुनिक दंत चिकित्सा के जनक के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 24 दिसंबर 1890 को बर्धनपारा, पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) भारत में हुआ था।
भारत की आजादी के बाद 1949 में "कलकत्ता डेंटल कॉलेज" कलकत्ता यूनिवर्सिटी का हिस्सा बन गई।
1953 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने डॉ रफ़ीउद्दीन अहमद को उनके सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिए
वानिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया व वर्ष 1964 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण सम्मान दिया गया था। ये पुरस्कार पाने वाले डॉ रफ़ीउद्दीन अहमद पहले डेंटिस्ट थे।