मार्गशीर्ष की पूर्णिमा
ये विशेष पूर्णिमा तिथी एक व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति दिला सकती है। और इस संसार से भी मुक्ति दिला सकते हैं । इसलिए इस पूर्णिमा को सनातन शास्त्रों में मोक्षदायिनी पूर्णिमा का भी नाम दिया है। वैसे तो इस दिन विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
हिंदू पौराणिक मान्यता और सनातन धर्म के अनुसार हर अमावस्या और पूर्णिमा का अपना एक विशेष महत्व है। लेकिन मार्गशीर्श के महीने पर पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
पौराणिक मान्यताएं कहती है ये विशेष पूर्णिमा तिथी एक व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति दिला सकती है। और इस संसार से भी मुक्ति दिला सकते हैं । इसलिए इस पूर्णिमा को सनातन शास्त्रों में मोक्षदायिनी पूर्णिमा का भी नाम दिया है। वैसे तो इस दिन विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। और कथाओं की माने तो मार्गशीर्ष एक तरह से भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।
बताया जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ये पूरा ब्रह्मांड चंद्रमा को अमृत से सींचता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा की उपासना करने का बेहद महत्व है। हिंदू पंचांग में 12 अलग-अलग महीने बताए गए जिसमें से मार्गशीर्ष महिना सबसे पवित्र माना जाता है। इससे हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है।
वैसे तो मार्गशीर्ष का यह पूरा महीना ही भगवान श्री कृष्ण को पूर्ण रूप से समर्पित है। लेकिन पूर्णिमा के दिन इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की आराधना, पूजा और उनकी भक्ति की जाती है। चाहे तो पूरे मार्गशीर्ष के महीने में श्रीकृष्ण की आराधना कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोग जो ऐसा करने में सक्षम नहीं है जिनके पास समय का अभाव है। उन्हें मार्गशीर्ष की पूर्णिमा में श्री कृष्ण की आराधना का ये शुभ संयोग अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। क्योंकि यह बहुत ज्यादा फलदाई होता है।
श्रीमद्भगवद्गीता जो भगवान श्री कृष्ण के मुख से ही प्रकट हुई है। उसमें श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है, सभी माह में मैं मार्गशीरष हूं। ये माह मेरा ही स्वरूप है। और ये माह मुझे अत्यंत प्रिय है। कृष्ण कथा में एक जानकारी और मिलती है। श्री कृष्ण ने गोपियों को भी इस महीने के महत्व के बारे में बताया था । उन्होंने बताया था कि इस दिन यमुना में डुबकी लगाने से सभी तरह के पाप दूर होते हैं। इसलिए मार्गशीर्ष के महीने में भारत की पवित्र नदियां जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, और सरस्वती में स्नान करने का प्रचलन है।
ये पूरा महीना श्रीकृष्ण की भक्ति, श्रीकृष्ण की उपासना के लिए समर्पित है। माना जाता है इस दिन श्रीकृष्ण की उपासना करने से इस माह में आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है। इससे विशेष लाभ मिलता है।
हर साल मार्ग शीर्ष महीने में इस उत्सव को मनाया जाता है। इस साल भी 7 दिसंबर 2022 को मार्ग शीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा और इस पूर्णिमा को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा। पूरा भारत इस दिन श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबा होता है। अगर आप भी श्रीकृष्ण की आराधना करके उनका उनसे अपनी इच्छा पूर्ति करवाना चाहते हैं। एक विशेष फल चाहते हैं, साथ ही खुद को मोक्ष की तरफ आगे ले जाना चाहते हैं। तो मार्गशीर्ष का ये शुभ अवसर अपने हाथ से जाने ना दे।