राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

क्या आप जानते है कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है. अब अगर आप भी यही सोच रहे हैं कि इस खास दिन को किसी महान शख्सियत के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है, बल्कि एक सवाल के जवाब की खोज में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। अब वो कौन सा सवाल है और इसकी खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ये सब आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस Source: edudwar.com

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क्या आप जानते है समुद्र का रंग नीला क्यों होता है? अगर सी.वी. रमन न होते तो इस सवाल का जवाब देना आज भी लोगों के लिए मुश्किल ही होता। कहते है इस प्रश्न के पीछे महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन की 7 साल का शोध ही था, जिसके चलते लोग ‘रमन प्रभाव’ के बारे में जान पाए। 28 फरवरी 1928 को इस भारतीय भौतिक विज्ञानी ने यह खोज, इसीलिए यह दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है । जी हां, यह खास दिन किसी महान शख्सियत के जन्मदिन के मौके पर नहीं बल्कि एक सवाल के जवाब की खोज के लिए मनाया जाता है.

बताया जाता है कि साल 1921 में सी. वी. रमन जहाज से ब्रिटेन जा रहे थेे, जहां उनकी नजर समुद्र के पानी पर पड़ी। उन्होंने देखा कि पानी का तो कोई रंग नहीं है लेकिन फिर भी समुद्र नीले रंग का दिख रहा है। यहां से रमन के दिमाग में सवाल आया कि ऐसा क्यों? अब जब रमन ब्रिटेन से भारत लौटने लगे तो अपने साथ कुछ उपकरण लेकर आए, जिसकी मदद से उन्होंने आसमान और समुद्र का अध्ययन किया, और सात साल के शोध के बाद उन्होंने इस सवाल का जवाब खोज निकाला। उन्होंने 28 फरवरी 1928 को दुनिया को रमन प्रभाव के बारे में बताया। अब रमन प्रभाव क्या है उसे समझने की कोशिश करते हैं। दरअसल, जब कोई मोनोक्रोमैटिक प्रकाश पानी और ठोस चीजों से गुजरती है तो उसमें इंसिडेंट लाइट के साथ लौ इंटेंसिटी के कुछ अन्य तरह की रोशनी देखने को मिलती है, जो रमन प्रभाव के कारण ही होती है।

सरल भाषा में कहा जाए तो रमन प्रभाव वास्तव में प्रकाश के बिखराव की एक प्रक्रिया है जो माध्यम के कणों की वजह से होती है। यह बिखराव तब होता है जब प्रकाश किसी माध्यम में प्रवेश करता है और उसके कारण उसके वेवलेंथ में बदलाव आ जाता है।

प्रकाश के क्षेत्र में सी. वी. रमन के इस काम का प्रयोग आज भी कई क्षेत्रों में किया जाता है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का इस्तेमाल दुनिया भर के केमिकल लैब में होता है। इसकी मदद से पदार्थों की पहचान की जाती है। औषधि क्षेत्र में सेल और टिश्यू पर शोध के लिए और कैंसर का पता लगाने तक के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मिशन चंद्रयान के दौरान चांद पर पानी का पता लगाने के पीछे भी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का ही योगदान था।

साल 1986 मेंपहली बार राष्ट्रीय विज्ञान और तकनीकी संचार परिषद यानी एनसीइसटीसी ने भारत सरकार से आग्रह किया था कि 28 फरवरी के इस खास दिन को ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया जाए। सरकार ने उनके आग्रह को स्वीकार किया और 28 फरवरी 1987 में पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया।

वैसे आपको बता दे कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के पीछे का बुनियादी उद्देश्य विज्ञान की अहमियत और इसके उपयोग के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। क्योंकि विज्ञान न होता तो शायद ही हम ये समझ पाते ही आकाश नील क्यों दिखता है, समुुद्र का पानी नीला क्यों नजर आता है?, और भी बहुत सी चीजे विज्ञान के बिना हम तक पहुुंच पाना आसान नहीं होता।

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