विश्व टेलीविजन दिवस
विश्व टेलीविजन दिवस 'इडियट बॉक्स' हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है। अपने आविष्कार के बाद से ही टेलीविजन आम लोगों के जीवन में मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन रहा है। टेलीविजन के माध्यम से लोग कई सालो से शिक्षा, समाचार, राजनीति, मनोरंजन और गपशप का आनंद लेते आ रहे हैं। विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से परे टेलीविजन के महत्व पर जोर देना है। ‘विश्व टेलीविजन दिवस’, सिर्फ उपकरणों का उत्सव नहीं, बल्कि टेलीविजन के पीछे का दर्शन भी है। जिसने लोगों के दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।
इसके बाद फिलो टी.फर्नवर्थ (Philo Taylor Farnsworth) ने 7 सितम्बर 1927 को इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का अविष्कार किया। टीवी इतिहास में लाइव टीवी पर प्रसारित होने वाला पहला खेल 1936 में आयोजित बर्लिन ओलंपिक गेम्स था। और टीवी पर प्रसारित होने वाला पहला टेलीविजन विज्ञापन 1 जुलाई, 1941 को न्यूयॉर्क में हुआ । यह विज्ञापन कुल 20 सेकंड तक चला, उस समय टीवी विज्ञापनों की कीमत $ 9 थी।
भारत और टेलीविजन का इतिहास:
दुनिया में टेलीविजन सेवा सबसे पहले, 1936 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) द्वारा शुरू की गई। इसके दो दशकों से अधिक समय के बाद, भारत में 15 सितंबर 1959 में दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा टेलीविजन की शुरुआत की गई।
भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनस्को की मदद से हुई।
टेलीविजन की शुरुआत भारत में एक प्रयोग के तौर पर शुरू हुई थी। भारत में टीवी का आगमन भले ही देरी से हुआ। परन्तु पहले प्रसारण के साथ ही इसे लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई। उस समय यह लोगों के लिए एक नया अनुभव था। भले ही शुरूआत हफ्ते में 3 दिन आधे-आधे घंटे के कार्यक्रमों से हुई लेकिन इसका विस्तार काफी तेजी से हुआ और कुछ ही सालों में इस पर रोज प्रसारण किया जाने लगा। शुरू में इसको "टेलिविजन इंडिया" नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिंदी नामकरण "दूरदर्शन" नाम से कर दिया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया।
1972 में, मुंबई (तब बॉम्बे) में देश का दूसरा टीवी स्टेशन खोला गया। इसके बाद, 1973 में अमृतसर और श्रीनगर और 1975 में मद्रास, कलकत्ता और लखनऊ में स्टेशन खोले गए। इसके बावजूद, गांवों में रहने वाले लोगों के लिए टीवी अभी भी दूर की कौड़ी ही थी।
भारत में इसका व्यापक प्रसार 1982 में आयोजित एशियाड खेलों के आयोजन से हुआ। लोगों को बुद्धिमान बनाने वाले इस बुद्धू बक्सा में दिखाई देने वाली बोलती तस्वीरें जो कभी ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करती थी अब कलर में बदल गईंं और लोग टीवी के दीवाने हो गए।
दूरदर्शन पर आने वाले लोकप्रिय धारावाहिकों जैसे शक्तिमान, चित्रहार, मुंगेरी लाल के हसीन सपने, अलिफ लैला तथा रामायण और महाभारत आदि ने लोगों के दिलों पर राज किया। 2 अक्टूबर 1992 को भारत में आया Zee TV पहला प्राइवेट चैनल था। जिस पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
गुजरात के खेड़ा का भूला-बिसरा गांव, जिसने भारत की टेलीविजन क्रांति में निभाई सबसे बड़ी भूमिका
टेलीविजन का आविष्कार स्कॉटिश इंजीनियर जॉन लोगी बेयर्ड ने 1925 में किया था।। जॉन लॉगी बेयर्ड और उनके सहायक विलियम टायटन वो पहले इनसान है जो सबसे पहले टीवी पर प्रसारित हुए थे। यह एक मेकेनिकल टेलीविजन था। जिसके कारण उन्हें टेलीविजन का अविष्कारक और फादर ऑफ़ टेलीविजन कहा जाता है।
टेलीविजन (TV) का जुड़ाव हमारे जीवन में शुरु से ही रहा है ‘ब्लैक एंड वाइट‘ जमाने से लेकर आज रंगीन टीवी के जमाने तक टेलीविजन लोगों के मनोरंजन का पहला और सबसे प्रिय साधन रहा है। आज भी लोगों को टेलीविजन देखना उतना ही पसंद है जितना 20 या 30 साल पहले था। टीवी के इसी महत्व को समझते हुए विश्व स्तर पर वर्ल्ड टेलीविज़न डे मनाने की घोषणा की गई। टेलीविज़न को हिंदी में दूरदर्शन कहा जाता है
21 नवंबर ही क्यों ?
21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) उस दिन का स्मरण करता है जिस दिन संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1996 में 21 और 22 नवंबर को पहला विश्व टेलीविजन फोरम आयोजित किया था। इस दिन पूरे विश्व के मीडिया हस्तियों नें संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में मुलाकात की। इस मुलाक़ात के दौरान टेलीविजन के विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के सन्दर्भ में काफी चर्चा की गयी थी. साथ ही उन्होंने इस तथ्य पर भी चर्चा की कि विश्व को परिवर्तित करने में टेलीविजन का क्या योगदान है। उन्होनें आपसी सहयोग से इसके महत्व के बारे में चर्चा की। यही कारण था की संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 21 नवंबर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। और पहला विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवंबर 1997 को मनाया गया था।
टीवी का नाम अस्तित्व में आया
टेलीविजन ग्रीक प्रीफिक्स ‘टेले’ और लैटिन वर्ड ‘विजीओ’ से मिलकर बना शब्द है। टेलीविजन यानि टीवी एक वैज्ञानिक उपकरण है, जो जन-संचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है। 1907 में, टेलीविजन को अंग्रेजी में एक शब्द के रूप में पहचाना दी गई और 1948 में पहली बार टेलीविजन का शॉर्ट फॉर्म टीवी इस्तेमाल किया गया तथा Television शब्द को 1960 में डिक्शनरी में जोड़ा गया। और टीवी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिमोट, यूजीन पोली द्वारा 1955 में बनाया गया।
टेलीविजन और उसका आविष्कार
देश के सबसे महान वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले विक्रम साराभाई ने इस दिशा में अपना कदम बढ़ाना शुरू कर दिया था। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है।
जिस साल वह परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष चुने गए, उसी साल उन्होंने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से संवाद शुरू कर दिया, जिसके फलस्वरूप सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) के लिए आधार तैयार हुआ।
SITE को 1975 में लॉन्च किया गया था। यह देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का इस्तेमाल का पहला प्रयास भी था। यह भारतीय टेलीविजन के इतिहास का सबसे निर्णायक मोड़ था।
खेड़ा कम्युनिकेशंस प्रोजेक्ट को SITE के तहत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन प्रसारण के लिए सबसे पहले खेड़ा जिले के सुदूरवर्ती गांव पिज (Pij) को चुना गया।
इसके बाद, यहां संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा दिए गए लो पावर ट्रांसमीटर और एक प्रोडक्शन स्टूडियो को स्थापित किया गया। जबकि, अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) में एक सैटेलाइट अर्थ स्टेशन को स्थापित किया गया। परियोजना के तहत, 35 किलोमीटर के दायरे में 400 गांवों में 651 टीवी सेट वितरित किए गए थे।
आखिर इंतजार का लम्हा जुलाई 1975 की एक उमस भरी शाम में खत्म हुआ। पिज में सौ से अधिक ग्रामीण एक मैदान में जमा हो गए और सभी निगाहें एक लकड़ी के बक्से पर एक खाली कांच की स्क्रीन पर टिकी थीं।
तभी थोड़ी खड़खड़ाहट की आवाज आई और ऑडियो-विजुअल के साथ स्क्रीन जीवंत हो गई। इसमें स्थानीय भाषा में लोगों से जुड़े मुद्दों की चर्चा हो रही थी। ग्रामीण हैरान थे और उनके लिए यह किसी जादू से कम नहीं था। यह पल पूरी जिंदगी उनके साथ रहने वाली थी।
परियोजना ने न केवल ग्रामीण भारत में रहने वाले लाखों भारतीयों के जीवन को छुआ है और सकारात्मक दिशा दी है, बल्कि दुनिया को आजाद भारत के तकनीकी विकास का एक खास संदेश भी दिया है।
विश्व टेलीविज़न दिवस का महत्व
विश्व टेलीविज़न दिवस वर्ल्ड के दिन पूरा विश्व प्रसारण मीडिया की भूमिका को स्वीकारता है| लेखक, पत्रकार, ब्लॉगर और मीडिया से जुड़े सभी लोग इस दिन को बढ़ावा देते हैं| प्रसारण के उभरते और पारम्परिक तरीकों के बीच बातचीत से विश्व के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर मिलता है|
संयुक्त राष्ट्र द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, 2023 तक टेलीविजन वाले परिवारों की संख्या लगभग 1.73 बिलियन हो जाएगी। Netflix अक्टूबर 2021 तक ग्राहकों की संख्या 214 मिलियन है। इसलिए यह स्पष्ट है कि डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को टेलीविजन की संख्या तक पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है।