विश्व मृदा दिवस
विश्व मृदा दिवस हर वर्ष 5 दिसम्बर को मनाया जाता है<p>विश्व मृदा दिवस हर वर्ष 5 दिसम्बर को मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य लोगों को मृदा संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाये। और इसे समझे कि मृदा का महत्व कितना है? सबसे पहले मृदा दिवस 5 दिसम्बर 2014 को मनाया गया। इस दिवस को हर वर्ष विश्व खाद्य संगठन (World Food Organization) द्वारा मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से मृदा क्षरण को रोकने तथा उसके उपाय को लोगों तक पहुंचाना है।</p><p><br></p><p><br></p><p>मृदा</p><p>मृदा खनिज, जल, वायु, कार्बनिक पदार्थ और अनगिनत जीवों के अवशेषों का जटिल मिश्रण है। दूसरे शब्दों में मृदा प्राकृतिक तत्वों के संयोजन से बना एक ऐसा तत्व है जिसमें जीवित पदार्थ तथा पौधों को पोषित करने की क्षमता होती है।मृदा एक जीवित संसाधन है जो कि हमारे ग्रह की 25% से ज्यादा जैव विविधता का आश्रय स्थल है और </p><p>वर्तमान में जहां पौधों की 80% प्रजातियों को पहचाना जा चुका है तो वही मृदा में निवास करने वाले मात्र 1% सूक्ष्मजीव के बारे में जानकारी उपलब्ध है तथा 90% जीवित जीव अपना जीवन यह अपना जीवन चक्र के लिए मृदा पर आश्रित हैं।</p><p><br></p><p>थीम</p><p>विश्व मृदा दिवस थीम “मिट्टी की लवणता को रोकना, मिट्टी की उत्पादकता”को बढ़ावा देना होगा।</p><p><br></p><p>उद्देश्य</p><p>विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य लोगों में मृदा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। दरअसल, सभी स्थलीय जीवों के लिए मिट्टी का खास महत्व है। मिट्टी के क्षरण से कार्बनिक पदार्थों को नुकसान होता है। वहीं मिट्टी की उर्वरता में भी गिरावट आती है। इस साल के थीम के माध्यम से मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मृदा लवणता से लड़ने, मृदा जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। </p><p><br></p><p>मृदा क्षरण का प्रभाव:</p><p>1.जल की कमी:-</p><p>नष्ट हुई मृदा जल प्रवाह को अवशोषित और नियंत्रित नहीं कर सकती है।जल प्रतिधारण की कमी से जल की कमी, सूखा और बाढ़ आती है।</p><p>2.जैव विविधता की हानि:-</p><p>वैज्ञानिकों का कहना है कि निवास स्थान (आवास ) के नुकसान के कारण, प्रतिवर्ष जीवों की लगभग 27000 प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं।</p><p>3.जलवायु परिवर्तन:</p><p>मृदा में संग्रहित कार्बन जीवित पौधों की तुलना में 3 गुना अधिक है , और वातावरण में 2 गुना अधिक है, जिसका अर्थ है कि कार्बन पृथक्करण के लिए मृदा महत्वपूर्ण है।</p><p>4.आजीविका की हानि:-</p><p>विश्व स्तर पर भूमि क्षरण से 74 प्रतिशत गरीब प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।यह अनुमान है कि मिट्टी के विलुप्त होने से दुनिया को प्रति वर्ष 10.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो रहा है।</p><p><br></p><p>मृदा के प्रकार</p><p>1.जलोढ़ मिट्टी</p><p>यह मिट्टी का सबसे महत्वपूर्ण प्रकार है तथा भूमि का लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र इसी मिट्टी से ढ़का है। उत्तर के मैदान इसी मिट्टी से बने हैं। महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी के डेल्टा में पाई जाती है।। भारत की सबसे उपजाऊ भूमि हैं।</p><p>2.काली मिट्टी</p><p>मिट्टी का रंग काला होने के कारण इस मिट्टी को काली मिट्टी कहा जाता है। यह मिट्टी लावा प्रवाह से बनती है तथा उत्तर-पश्चिमी पठार में पाई जाती है। इस मिट्टी का स्थानीय नाम रेगड़ मिट्टी है। इस मिट्टी में नमी रखने की क्षमता बहुत अधिक होती है। इसके अतिरिक्त यह मिट्टी कैल्शियम, कार्बोनेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट, पोटॉश तथा चूने आदि के तत्व में समृद्ध मिट्टी है। </p><p>3.पीली मिट्टी</p><p>भारत का दक्षिण-पूर्व भाग लाल और पीली मिट्टी से ढ़का है। यह दक्कन पठार के पूर्वी और दक्षिण भाग में कम वर्षा के क्षेत्र वाले पुरानी क्रिस्टलीय आग्नेय चट्टानों से निर्मित है। लाल तथा पीली मिट्टी उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा क्षेत्र के दक्षिण भागों तथा पश्चिमी घाट के पर्वतीय भागों के निचले हिस्से में पाई जाती है। </p><p>4.मरूस्थलीय मिट्टी</p><p>इस मिट्टी के क्षेत्र में पौधे एक दूसरे से बहुत दूरी पर मिलते हैं। रासायनिक अपक्षय सीमित है। मिट्टी का रंग लाल या हल्का भूरा हैं। </p><p>5.पर्वतीय मिट्टी</p><p>यह मिट्टी पहाड़ी तथा पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ पर्याप्त वर्षा उपलब्ध हो पाइ्र जाती है। मिट्टी की बनावट पहाड़ी पर्यावरण के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। यह घाटी वाले क्षेत्रों में बलुई तथा रेतीली, ऊपरी ढ़लानों में अधिक कणों वाली तथा हिमालय के बर्फ से ढ़के क्षेत्रों में अम्लीय तथा कम ह्यूमस वाली होती है।</p>
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