विश्व विकलांग दिवस
इस दिन को मनाने की शुरुआत भले ही यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका से हुई है। लेकिन यह पूरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हर एक विकलांग की मदद करना है।
इसकी शुरुआत सबसे पहले 1992, में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली रिजॉल्युशन के जरिए किया गया था। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का उद्देश्य ये है कि शारीरिक तौर पर विकलांग लोगों की गरिमा, उनके अधिकार की रक्षा की जा सके। उनमें आत्मविश्वास जगाया जाए।
1992 से लेकर हर साल 3 दिसंबर को अनोखे अंदाज में विकलांगों की सहायता और उनके आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है 2022 में भी ऐसा ही किया जाएगा। इस बार इसे लेकर एक खास थीम तैयार की गई है।
थीम में ध्यान रखा जाएगा कि ऐसे लोगों को बढ़ने का उचित अवसर मिले। उनमें कुछ ऐसे स्किल को बढ़ाया जा सके जो उन्हें रोजगार की तरफ ले जाए। ताकि वो अपने पैरों पर खड़े हो सके। टेक्नोलॉजी की दुनिया में शारीरिक रूप से अपाहिज लोगों को टेक्नोलॉजी की सहायता से अपने पैरों पर खड़े होने, आगे बढ़ने में मदद दी जा सके। यही IDPD का प्रमुख उद्देश्य है।
IDPD के जरिए यह भी ध्यान रखा जा रहा है की इसी बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी के जरिए बहुत से बेरोजगार भी पैदा किया जाए। यही इस दिन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। इसके साथ ही इन्हे लेकर किया जाने वाला सामाजिक भेदभाव भी दूर हो सके।
इसका प्रमुख उद्देश्य ऐसे लोगो को समाज में समानता का अधिकार दिलाना है। चाहते, ना चाहते हूए भी शारीरिक तौर पर असामान्य लोगों को हेय की दृष्टि से देखा जाता है। हम मानते हैं कि वो बहुत सारे काम सामान्य लोगों की तुलना में बेहतर ढंग से नहीं कर सकते। इस सोच को बदलने के लिए हीं इस दिन को एक खास थीम के साथ मनाया जा रहा है।
वहीं तीसरा पहलू खेल से जुड़ा हुआ है। खेल समाज को सुदृड़ बनाता है। लोगों में एकता की भावना लाता है। लेकिन जब भी खेल की बात होती है, सामाजिक रूप से विकलांग लोगों को इससे दूर रखा जाता रहा है। International day of person with disabilities की इस खास थीम का उद्देश्य इन लोगों को खेल के प्रति जागरुक करना है। और साथ ही इसी खेल के जरिए इनके लिए रोजगार पैदा करना है।
इस दिन को मनाने की शुरुआत भले ही यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका से हुई है। लेकिन यह पूरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हर एक विकलांग की मदद करना है। इसे एनुअल डे के तौर पर मनाया जाता है। जब इससे जुड़े लोग ये मानते हैं कि आम लोग और विकलांग लोगों के बीच की दूरी को कम की जाए। इनके अधिकार इन्हें पूर्ण रूप से मिले। इसे लेकर अलग अलग संस्था पैसों दान कर मदद भी करती है। लोग भी चैरिटी देते हैं। साथ ही संस्था के साथ जुड़े लोग एक अंतरराष्ट्रीय सिपाही के तौर पर ऐसे विकलांगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार काम करते है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी और समाज में मौजूद हर एक व्यक्ति चाहे वो, बीमार हो शारीरिक रूप से विकलांग हो या मानसिक रूप से विकलांग हो, उसे जीने का बराबर हक है। एक माता पिता की संतान जब शारीरिक रूप से विकलांग पैदा होती है, तो दर्द का अनुभव उन्हें ही होता है। इसलिए जो लोग ऐसे विकलांग लोगों से दूर होते हैं। उन्हें कभी कभी उनके दर्द का एहसास नहीं हो पाता। ये संस्था इसी दर्द का एहसास दिलाने की दिशा में कार्यरत है। ताकि उस एहसास को समझ कर हम विकलांगों की स्थिति सुधारने के लिए कार्य कर सकें। और ये कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है। भारत में भी ये दिन इसी तरह से मनाया जाता है। और इस अंतरराष्ट्रीय संस्थान के जरिए हर कोई आसानी से इन विकलांगों की स्थिति सुधारने के लिए अपनी इच्छा अनुसार दान भी दे सकता है।