विश्व सुनामी दिवस
विश्व सूनामी जागरूकता दिवस, 5 नवंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। आज पानी के बिना हमारी लाइफ के बारे में सोचना नामुमकिन है क्योंकि हमारी जरूरत जा एक बहुत बड़ा हिस्सा है पानी और कई हो जब पानी ही तबाही ले कर आये तो जो लाखो की ज़िंदगी उजार्ड दे।
प्राकृतिक प्रकोपो की बात की जाए तो वह देश जिसकी सीमा महासागर से लगती है वहां सुनामी का खतरा रहता है जो वहां तटवर्ती समुदाय को अधिक प्रभावित करता है।
सुनामी बड़ी लहरें हैं जो समुद्र के किनारों पर उत्पन्न होती हैं जो मुख्य रूप से भूस्खलन या भूकंप से जुड़ी हैं। शब्द "सुनामी" का नाम जापानी "tsu" से बना है। इसका अर्थ है बंदरगाह और "nami" का अर्थ है लहर। सुनामी पानी के नीचे उत्पन्न हुई अशांति द्वारा बनी बड़ी लहरों की एक श्रृंखला है। ये लहरें आम तौर पर भूकंप से संबंधित होती हैं जो कि सागर के आसपास या आसपास नजदीक होती हैं।
2004 में हिंद महासागर में भूकंप के कारण सुनामी उत्पन्न हुई जिसने लगभग 15 देशों में करीब 260,000 लोगों को प्रभावित किया। पिछले 100 वर्षों में हुए किसी भी अन्य प्राकृतिक खतरों से सबसे ज्यादा विनाशकारी थी। इसका सबसे अधिक प्रभाव थाईलैंड में देखने को मिला था। एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका, इंडोनेशिया और भारत में अकेले 2,27,000 लोग इस सुनामी में मारे गए थे।
प्राकृतिक आपदा को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने दिसंबर 2015 में 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया और तब से हर साल लगातार यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत जापान से हुई थी
यूएन की वेबसाइट के मुताबिक दुनिया की लगभग 50 प्रतिशत आबादी सूनामी के संपर्क में आने वाले तटीय क्षेत्रों में रहती है। विकासशील देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सुनामी के जोखिम वाले 100 प्रतिशत समुदाय 2030 तक सुनामी के लिए तैयार हैं।
थीम
तटवर्ती क्षेत्रो में रहने वाले समुदाय जो सुनामी से अधिक प्रभावित है उनमे जागरूकता फैलाना तथा उनको को एक प्रथायस्थ दुनिया का निर्माण करना है तथा सुनामी से होने वाली जान माल की क्षति को न्यूनतम करना है।
कारण
सुनामी लहरों के पीछे वैसे तो कई कारण होते हैं लेकिन सर्वाधिक प्रभावी कारण भूकम्प है। जब समंदर के नीचे भुकम्प आता है टी उसकी लहरे तेज़ी से ऊपर उठने लगती है तथा जब वो तटो से टकराती है तो भारी विनाश का कारण बनती है।भूकम्प के अलावा जमीन धसने, ज्वालामुखी फटने, किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात होने से भी सुनामी लहरें उठती है।
####2004 के हिंद महासागर के भूकंप और सुनामी
इसे बॉक्सिंग डे सुनामी के रूप में भी जाना जाता है यह सुमात्रा-अंडमान भूकंप को स्थानीय समय में 07:58 पर हुआ। यह सुनामी उत्तरी सुमात्रा, इंडोनेशिया के पश्चिमी तट से उपाए उठा। यह एक बहांकर भूकंप था जिसने 9.1–9.3 मेगावॉट की तीव्रता का था। भूकंप बर्मा प्लेट और भारतीय प्लेट के बीच घर्षण के कारण हुआ था।
यह 21 वीं सदी में सबसे बढ़ा भूकंप था और इसमें आठ से दस मिनट के बीच सबसे बड़ी तबाही कर दी। यह रिकॉर्डेड इतिहास में सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक बन गया। यह निम्नलिखित देशों जैसे में इंडोनेशिया, श्रीलंका, तमिलनाडु भारत और थाईलैंड में भारी आपदा उत्पन की । बान्दा आचेह ने सबसे अधिक मौतों की सूचना दी गयी थी। अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से करीब एक हजार कि.मी.
दूर आए भूकंप से पूर्वी और दक्षिणी भारत में बड़ी तबाही हुई थी। भूकंप और उससे पैदा हुई सुनामी लहरों की वजह से अंडमान द्वीप के अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पांडिचेरी के तटीय इलाकों में लाखों लोगों की मौत हो गई थी।
####1 नवंबर, 1755 लिस्बन, पुर्तगाल
जिसे ग्रेट लिस्बन भूकंप के रूप में भी जाना जाता है जो पुर्तगाल में इबेरियन प्रायद्वीप और उत्तर पश्चिमी अफ्रीका को प्रभावित किया। पुर्तगाल के पास पश्चिमी समुद्र तट और दक्षिणी स्पेन के पास समुद्र के अंदर 30 मीटर की गहराई पर आए 8.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से सुनामी लहरें उठीं। इन लहरों ने समुद्र तट के किनारे बसे शहरों में भारी तबाही मचाई। इससे करीब 60 हजार लोगों की जान चली गई।
####11 मार्च, 2011,ओशिका, जापान
जापान के पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता वाला भूकंप आया। भूकंप का केंद्र समुद्र के भीतर 24 किलोमीटर की गहराई पर था। इसकी वजह से समुद्र में सुनामी लहरें उठीं, जिन्होंने जापान में भारी तबाही मचाई। ये लहरें जापान के होककाइदो और ओकिनावा द्वीप से टकराईं, जहां करीब 18 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
सुनामी के प्रति खतरे को कम करने के अन्तराष्टीय स्तर पर भी कई समझौते किये गए है जैसे सेंदाई फ्रेमवर्क आदि।