सुसाशन दिवस
भारत में 25 दिसंबर को 'सुसाशन दिवस' के रूप में स्मरण किया जाता है| इसकी स्थापना सन 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु की गई| पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरूस्कार 'भारत रत्न' देने की घोषणा की गई| इसके तुरंत बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 'सुसाशन दिवस' मनाने की भी घोषणा कर दी|
श्री अटल बुहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी, जन्म 25 दिसंबर, 1924,ग्वालियर में हुआ तथा मृत्यु 16 अगस्त, 2018 में हुई। नई दिल्ली का नाम भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में लिया जाता है। नरसिम्हा राव के बाद 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी मात्र 13 दिन के लिए ही प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1998 में हुए चुनावों के माध्यम से वह दोबारा प्रधानमंत्री बने। इस कारण 1996 और 1998 के मध्य बने दो प्रधानमंत्रियों-एच. डी. देवगौड़ा तथा इन्द्र कुमार गुजराल को आगे स्थान दिया गया है। तत्पश्चात् अटल बिहारी वाजपेयी अक्टूबर, 1999 में पुन: प्रधानमंत्री बने और यह कार्यकाल उन्होंने अत्यन्त सफलतापूर्वक पूर्ण किया। इसके पूर्व वह अप्रैल, 1999 से अक्टूबर, 1999 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री भी रहे
सुसाशन की विशेषता
सुशासन की 8 प्रमुख विशेषताएँ हैं। यह भागीदारी, आम सहमति, जवाबदेही, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी एवं कुशल, न्यायसंगत और समावेशी होने के साथ-साथ ‘कानून के शासन’ (Rule of Law) का अनुसरण करता है। यह विश्वास दिलाता है कि भ्रष्टाचार को कम-से-कम किया जा सकता है, इसमें अल्पसंख्यकों के विचारों को ध्यान में रखा जाता है और निर्णय लेने में समाज में सबसे कमज़ोर लोगों की आवाज़ सुनी जाती है।
भारत में सुशासन के लिये पहल
1.राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना :- सभी सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिये उनके क्षेत्र में सुलभ बनाने, ‘कॉमन सर्विस डिलीवरी आउटलेट’ के माध्यम से उपलब्ध कराने और किफायती लागत पर ऐसी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिये लागू की गई है।
ई-गवर्नेंस का उन नागरिकों पर सीधा प्रभाव पड़ता है जो सरकार द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के साथ प्रत्यक्ष लेन-देन के माध्यम से लाभ प्राप्त करते हैं।
2.कानूनी सुधार :- केंद्र सरकार ने पारदर्शिता लाने और दक्षता में सुधार करने के उद्देश्य से लगभग 1,500 अप्रचलित नियमों एवं कानूनों को समाप्त कर दिया है।
कानूनी प्रक्रियाओं के तहत विभिन्न संस्थानों द्वारा की जाने वाली मध्यस्थता पर ध्यान देने के साथ ही प्रक्रियात्मक कानूनों में सुधार किया जाना चाहिये।
3.ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस :-सरकार द्वारा व्यापार करने की परिस्थितियों में सुधार के लिये कदम उठाए गए हैं जिसमें कई कानून भी शामिल हैं, जो देश के कारोबारी माहौल और नीतियों से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिये हैं। जैसे- दिवालियापन संहिता (Bankruptcy Code), वस्तु एवं सेवा कर (GST) और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून आदि।
4.पुलिस सुधार :- छोटे अपराधों के लिये ई-एफआईआर दर्ज करने सहित प्रथम सूचना रिपोर्ट तंत्र में सुधार किया गया।
नागरिकों की आपातकालीन सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी आपातकालीन नंबर लॉन्च किया गया।
चुनौतियाँ:
1.राजनीति का अपराधीकरण:- 2019 में गठित लोकसभा के कुल सांसदों में से 43% सदस्य आपराधिक केस का सामना कर रहे हैं। इसमें वर्ष 2014 की तुलना में 26% की वृद्धि हुई है।राजनीति का अपराधीकरण तथा राजनेताओं, सिविल सेवकों एवं व्यापारिक घरानों का गठजोड़ सार्वजनिक नीति निर्माण एवं शासन पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
2.भ्रष्टाचार :- शासन की गुणवत्ता को सुधारने में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा है। जबकि स्पष्ट रूप से मानव लालच भ्रष्टाचार का चालक है। यह भारत में भ्रष्टाचार की बढ़ती प्रवृत्ति में योगदान करने के लिये ज़िम्मेदार है।
3.लैंगिक असमानता:-स्वामी विवेकानंद के अनुसार, “जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होगा, विश्व कल्याण के बारे में सोचना असंभव है। जिस प्रकार एक पक्षी के लिये केवल एक पंख पर उड़ना असंभव होता है’’। अर्थात् सुशासन सुनिश्चित करने के लिये महिलाओं का सशक्तीकरण आवश्यक है।