उनाकोटी
भारत के त्रिपुरा राज्य के उनाकोटी जिले के कैलाशहर उपखंड में स्थित एक ऐतिहासिक व पुरातत्विक हिन्दू तीर्थस्थल है। यहाँ भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं को समर्पित लाखों मूर्तियाँ और शैलचित्र देखने को मिलते हैं। इस स्थान को पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक माना जाता है। 'उनाकोटी' जितना अद्भुत है उससे कहीं ज़्यादा दिलचस्प इसका इतिहास है।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से लगभग 145 किलोमीटर दूर स्थित एक स्थान है जिसे ‘उनाकोटी’ के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह का निर्माण 7वीं से 9वीं शताब्दी ईसवी या उससे भी पहले बंगाल व पड़ोसी क्षेत्रों में शासन कर रहे पाल वंश के शासन काल में हुआ था। किंवदंतियों के अनुसार यहां कुल 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियां हैं, जिनके रहस्यों को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है। जैसे कि ये मूर्तियां किसने बनाई, कब बनाई और क्यों बनाई और सबसे जरूरी कि मूर्तियों की संख्या एक करोड़ में एक कम ही क्यों है ?
इन रहस्यमय मूर्तियों के कारण ही इस जगह का नाम ‘उनाकोटी’ पड़ा है, जिसका अर्थ होता है ‘करोड़ में एक कम’। उनाकोटी को रहस्यों से भरी जगह इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह एक पहाड़ी इलाका है जो दूर-दूर तक घने जंगलों और दलदली इलाकों में फैला हुआ है। अब ऐसे में जंगल के बीच में बिना किसी आधुनिक तकनीक के लाखों मूर्तियों का निर्माण कैसे किया गया होगा, क्योंकि इसमें तो वर्षों लग जाते। पहले तो इस इलाके के आस-पास लोगों की बसावट भी नहीं थी। यहां पत्थरों पर उकेरी गई और पत्थरों को काटकर बनाई गई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के बारे में बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित है।
उनाकोटी में दो तरह की मूर्तियों मिलती हैं, एक पत्थरों को काट कर बनाई गईं मूर्तियां और दूसरी पत्थरों पर उकेरी गईं मूर्तियां। यहां ज्यादातर हिन्दू धर्म से जुड़ी प्रतिमाएं हैं, जिनमें भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान विष्णु, और गणेश भगवान की मूर्तियां मौजूद है। इस स्थान के मध्य में भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें ‘उनाकोटेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव की यह मूर्ति लगभग 30 फीट ऊंची बनी हुई है। इसके अलावा भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का साथ दो अन्य मूर्तियां भी मौजूद हैं, जिनमें से एक माता दुर्गा की मूर्ति है। इसी तरह यहां और भी ढेर सारी मूर्तियां बनी हुई हैं।
वर्तमान में इस स्थान के आस-पास रहने वाले लोग यहां आकर इन मूर्तियों की पूजा करते हैं। यहां हर साल अप्रैल महीने के दौरान अशोकाष्टमी मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं। अब यह स्थान एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है क्योंकि यहां की अद्भुत मूर्तियों को देखने के लिए अब देश-विदेश के लोग आते हैं। हालांकि अब भी बहुत लोग इस स्थान का नाम तक नहीं जानते हैं।