टिक-टॉक डे : अधूरे काम याद दिलाने का दिन

हर साल कई खास दिन मनाए जाते हैं। किसी बड़े विचार और काम को समर्पित दिन। किंतु एक दिन ऐसा भी मनाया जाता है जो भूले काम पूरे करने की याद दिलाता है: टिक-टॉक डे : 29 दिसंबर। आइए, जानते हैं कि अमेरिका के एक अभिनेता और उनकी पत्नी ने कैसे इस दिन की शुरुआत की।
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टिक-टॉक... यानी काम पूरे कर लें, वक्त बीत रहा है। ग्राफ़िक्सः लैरी फ़ुल्चर

टिक-टॉक यानी घड़ी की सुइयों की आवाज़। इसके नाम पर भी कोई दिन मनाया जाएगा, कौन सोच सकता था। मगर अमेरिकी अभिनेता टॉमस रॉय ने इसे नए मायने देकर यह दिन मनाने की शुरुआत कर डाली।

अमेरिका और दूसरे देशों में साल का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस मनाया जाता है। न्यू ईयर तक छुट्टियाँ रहती हैं। इस बीच आपकी कार्यसूची में कोई महत्वपूर्ण काम तो नहीं अटका हुआ है। यही याद दिलाने के लिए रूथ और उनके पति टॉमस रॉय को सूझा कि क्योंकि न टिक-टॉक डे मनाया जाएगा। यह सजग करता है कि वक्त निकल रहा है। दो दिन बचे हैं। नए साल में कदम रखने से पहले अपने रुके काम पूरे कर लो।

इस विचार के जनक टॉमस अमेरिकी फ़िल्म, टेलीविज़न और वॉइस-ओवर अभिनेता हैं। रॉय दंपत्ति ने एक हॉलीडे कंपनी खोली। टिक-टॉक डे जैसी 80 छुट्टियों की सूची बनाकर इसे पेटेंट करवाया। उनके विचार को अमेरिका में मान्यता मिलने लगी।

इससे पहले वहां 1957 में दो भाइयों विलियम और हैरिसन चेज़ न‘चेज़ कैलेंडर ऑफ ईवेंट्स’ बनाया था। इनमें विलियम पत्रकार थे तो उनके भाई हैरिसन एक यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञानी। उनके कैलेंडर में राष्ट्रीय अवकाश, आयोजन और विशेष दिन शामिल थे। यह अमेरिका में घर-घर पहुँच गया।रॉय ने अपनी कॉपीराइट वाली छुट्टियों के आधार पर ‘वेलकैट हॉलीडेज़’ कंपनी शुरू की। वर्ष 2000 में चेज़ कैलेंडर ने टिक-टॉक डे समेत उन 80 छुट्टियों को अपने कैलेंडर में शामिल कर लिया, जिन्हें रॉय ने सोचा था। पश्चिमी दुनिया में एक अभिनेता के अलावा वह टिक-टॉक डे शुरू करने के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं।

तो जब भी 29 दिसंबर आए, क्यों न याद रखा जाए कि अब साल में दो ही दिन बचे हैं और अपने सोचे काम पूरे करने में जुट जाएं। किन कामों को नए साल के लिए रखना है और किन्हें नहीं। टिक-टॉक दिन यह याद भी दिलाता है।

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