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शिखरजी बनाम बूढ़ा पहाड़ : झारखंड के सबसे ऊँचे पारसनाथ पहाड़ पर विवाद क्यों
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शिखरजी बनाम बूढ़ा पहाड़ : झारखंड के सबसे ऊँचे पारसनाथ पहाड़ पर विवाद क्यों

जैन धर्म का तीर्थराज ‘सम्मेद शिखर’ पिछले दिनों अचानक चर्चा में आ गया।  झारखंड सरकार ने इसे इको-टूरिज्म केंद्र बनाने की योजना बनाई। धर्मस्थल को पर्यटन केंद्र में बदलने का जैन संगठनों ने देशव्यापी विरोध शुरू कर दिया। वे कहते हैं कि पर्यटन केंद्र बनाने से इसकी पवित्रता भंग होगी। अब भारत सरकार ने इसे पर्यावरण-संवेदी क्षेत्र घोषित कर दिया। लेकिन आदिवासी इसे अपनी आस्था का केंद्र ‘मराँग बुरु’ यानी बूढ़ा पहाड़ कहते हैं। जानिए सम्मेद शिखर की अहमियत, दोनों पक्षों के नजरिए से:

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कलकत्ते का ब्लैक होल
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कलकत्ते का ब्लैक होल

20 जून 1756 का दिन भारत के इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। कोलकाता में एक ऐसी घटना हुई, जिसके एक साल बाद ही, 1757 में, दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भारत पर एक ब्रिटिश कंपनी का कब्जा हो गया।

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हिंदी की 700 साल पुरानी पहली साहित्यिक चिट्ठी
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हिंदी की 700 साल पुरानी पहली साहित्यिक चिट्ठी

सात-आठ सौ साल पुरानी हिंदी की बोलियों में कविताएँ तो बहुत हैं, मगर ठेठ हिंदी में इतना पुराना गद्य नहीं मिलता है। ऐसे में एक सूफ़ी कवि, संगीतकार, वाद्यकार... अमीर खुसरो ने मृत्यु से ठीक एक साल पहले अपने बेटे के लिए एक ख़त लिखा जो खड़ी बोली हिंदी का पहला पत्र माना जा सकता है।

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केएल सहगल को सेल्समैन से सिंगर बनाने वाले हरीश चंद्र बाली
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केएल सहगल को सेल्समैन से सिंगर बनाने वाले हरीश चंद्र बाली

हिंदी सिनेमा के पहले स्टार गायक कुंदन लाल सहगल 1930-31 तक लाहौर की एक टाइपराइटर कंपनी के सेल्समैन थे। काम के सिलसिले में वह कलकत्ता गए। एक पनवाड़ी की दुकान पर पान खरीदते हुए वह आदतन कुछ गुनगुना रहे थे। तभी एक पारखी व्यक्ति ने उन्हें सुना। वह उन्हें अपने घर ले गए, अगले ही दिन ऑडिशन हुआ और सहगल को सेल्समैन से सिंगर बनते देर नहीं लगी... उसी मुलाकात पर केंद्रित यह छोटा-सा किस्सा

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एक अनोखा सरदार, एक अनोखी मैराथन, एक अनोखा स्कूल
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एक अनोखा सरदार, एक अनोखी मैराथन, एक अनोखा स्कूल

यह कहानी 25 साल पहले अमृतसर के एक आदमी की गुमनाम मैराथन दौड़ से शुरू होती है, जिसने झुग्गी बस्ती के कचरा बीनने और भीख माँगने वाले बच्चों के लिए स्कूल खोलने में मदद की। आज यहाँ 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। उनके कई सीनियर अब बैंकों, अस्पतालों, एयरलाइंस, होटलों में अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं।

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मैती: उत्तराखंड के पहाड़ों से निकला एक पर्यावरण आंदोलन
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मैती: उत्तराखंड के पहाड़ों से निकला एक पर्यावरण आंदोलन

उत्तराखंड में जंगल बचाने के लिए सत्तर के दशक में चिपको आंदोलन शुरू हुआ। तब सरकारी ठेकेदार जिन पेड़ों को काटने लगते थे, उन पर महिलाएँ चिपक जाती थीं। मैती आंदोलन भी पेड़ और पर्यावरण बचाने के लिए है, मगर एक अलग तरीके से। इसकी शुरुआत एक सरकारी स्कूल शिक्षक कल्याण सिंह रावत ने की, जिन्हें 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। मैती आंदोलन का नारा है - खुशी के हर अवसर पर एक पौधा लगाइए।

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कुल्लू घाटी की नाटी
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कुल्लू घाटी की नाटी

हिमाचल प्रदेश में जब रंग-बिरंगे परिधान पहने लोग नाटी नृत्य करते हैं तो बर्फ से लकदक वादियों में एक अलग ही समाँ दिखता है। खास कुल्लू घाटी की नाटी ने तो विश्व के सबसे बड़े लोकनृत्य के तौर पर गिनीज़ बुक में जगह पा ली है। यह कहानी इसी लोकनृत्य की है।

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'सिटी ऑफ़ जॉय' कोलकाता का फ़्रेंच प्रेमी
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'सिटी ऑफ़ जॉय' कोलकाता का फ़्रेंच प्रेमी

फ़्राँसीसी लेखक डॉमिनिक लैपियर ने कोलकाता को केंद्र में रखकर 'सिटी ऑफ़ जॉय' बेस्टसेलर तो लिखी ही, इसकी रॉयल्टी से यहाँ की मलिन बस्तियों के बच्चों के लिए स्कूल से लेकर अस्पताल तक खोले; 2 दिसंबर 2022 को उनकी मृत्यु के साथ भारत ने एक दोस्त खो दिया।

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टिक-टॉक डे : अधूरे काम याद दिलाने का दिन
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टिक-टॉक डे : अधूरे काम याद दिलाने का दिन

हर साल कई खास दिन मनाए जाते हैं। किसी बड़े विचार और काम को समर्पित दिन। किंतु एक दिन ऐसा भी मनाया जाता है जो भूले काम पूरे करने की याद दिलाता है: टिक-टॉक डे : 29 दिसंबर। आइए, जानते हैं कि अमेरिका के एक अभिनेता और उनकी पत्नी ने कैसे इस दिन की शुरुआत की।

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स्पिक-मैके: प्रो. किरण सेठ और आईआईटी से निकला अनोखा स्टार्टअप
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स्पिक-मैके: प्रो. किरण सेठ और आईआईटी से निकला अनोखा स्टार्टअप

आई.आई.टी. दिल्ली के 73 साल के प्रोफ़ेसर एमेरिटस किरण सेठ ने भारत की आज़ादी के अमृत महोत्सव पर 15 अगस्त 2022 को कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा शुरू की है। वह भारतीय शास्त्रीय संस्कृति के लिए समर्पित स्पिक-मैके संस्था के संस्थापक हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत क्यों और कैसे की, इसकी कहानी अमेरिका में शुरू होती है…

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