दिल्ली सल्तनत की शुरुआत और महरौली

दिल्ली के 7 ऐतिहासिक शहरों में से एक है महरौली, जो अपने अंदर हज़ारों खंडहर समेटे हुए है और हज़ारों कहानियाँ भी!
कुतुब परिसर की एक तस्वीर; स्रोत: पब्लिक डोमेन

कुतुब परिसर की एक तस्वीर; स्रोत: पब्लिक डोमेन

वर्ष 1192 में, चौहान वंश के अंतिम शासक, पृथ्वी राज चौहान, एक खाली सिंहासन को पीछे छोड़ते हुए, मोहम्मद ग़ोरी की सेना द्वारा मारे गए। ग़ोरी की दिल्ली का सुल्तान बनने की कोई चाहत नहीं थी इसलिए अपने एक सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली सौंप दी।

कुतुबुद्दीन ऐबक को गोरी ने सैन्य सेवा के लिए खरीदा था यानी दूसरे शब्दों में वह उसका गुलाम था, इसलिए उनके वंश को भारत के इतिहास में 'गुलाम वंश' के रूप में दर्ज किया गया है। मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद, कुतुबुद्दीन ने खुद को दिल्ली का पहला सुल्तान घोषित किया और गुलाम बन गया 'सुल्तान'।

जब सुल्तान दिल्ली की गद्दी पर बैठे तो उनके लिए परिस्थितियाँ आसान नहीं थी। गोरी के अन्य गुलामों जैसे सरदार यलदौज, अलीमर्दान और कुबाचा ने समय-समय पर उनके लिए कई चुनौतियों खड़ी की, इसके अलावा विभिन्न स्थानीय शासक, राजपूतों के साथ-साथ अजमेर और मेरठ में हो रहे विद्रोह और खाली खजाने भी उनके सुल्तान बनने में बाधा थे। लेकिन दिल्ली सल्तनत की स्थापना तमाम विषम परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी अपने आप में एक जीत थी और उस जीत के प्रतीक के रूप में, कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में दिल्ली में कुतुब मीनार की नींव रखी, जो अफगानिस्तान में जाम की मीनार से प्रेरित थी।

इसके अलावा दिल्ली को एक मस्जिद की जरूरत थी, जहां वह नमाज अदा कर सके। कुतुब दीन ऐबक ने महरौली में हिंदू और जैन संरचनाओं के मौजूदा मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया (जिन्हें विभिन्न आक्रमणों और लूटपाट के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था) जिसे बाद के सुल्तानों ने बढ़ाया।

अफ़सोस कुतुब दीन ऐबक का जीवन युद्ध लड़ने में व्यतीत हो गया और वह क़ुतुब मीनार को पूरा नहीं करवा सके। ऐबक के बाद सुल्तान बने इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार का कार्य अपने हाथ में ले लिया। जिसके बाद खिलजी और तुगलक वंश के सुल्तानों ने भी इसमें योगदान दिया, महरौली दिल्ली का वो शहर बन गया जिसे गुलाम वंश और उसके बाद के सुल्तानों ने भी बनवाया था।

गुलाम वंश के पतन के बाद, खिलजी वंश के सुल्तानों ने दिल्ली के सिंहासन हासिल किया और महरौली के कुतुब परिसर में अलाई दरवाजा और अलाई मीनार का निर्माण किया। अलाउद्दीन खिलजी एक महत्वाकांक्षी सुल्तान था और अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए कुतुब मीनार से दोगुनी बड़ी मीनार बनाना चाहता था, लेकिन आकस्मिक कारणों से पहली मंजिल पर इसका निर्माण 24.5 मीटर पर रोक दिया गया था और आज भी यह मीनार अधूरी है।

खिलजी वंश के शासकों ने न केवल कुतुब परिसर का विस्तार किया बल्कि दिल्ली में सिरी नामक एक नए शहर की नींव रखी और दिल्ली को एक बार फिर बसाया गया।

अफगानिस्तान में स्थित जाम मीनार; स्रोत: विकिपीडिया कॉमन्स

अफगानिस्तान में स्थित जाम मीनार; स्रोत: विकिपीडिया कॉमन्स

339 likes

 
Share your Thoughts
Let us know what you think of the story - we appreciate your feedback. 😊
339 Share