विश्व पर्यावरण दिवस मनाना क्यों है महत्वपूर्ण

मनुष्य और पर्यावरण का एक-दूसरे से बहुत गहरा संबंध है, किसी एक के अभाव में दूसरे  की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसीलिए आज प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध विनाश, अधिक संख्या में जंगलों की कटाई, समुद्री प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या, वन्यजीव अपराध, सतत उपभोग और ग्लोबल वार्मिंग से बचाव तथा भविष्य में आने वाले खतरों को रोकने के लिए विश्व स्तर पर पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित और रहने योग्य बचा रहे।
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विश्व पर्यावरण दिवस | स्त्रोत: हेल्प हिंदी में

विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और 5 जून 1973 को पहला 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाया गया।

भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया हो लेकिन पर्यावरण दिवस को सबसे पहले स्वीडन की राजधानी 'स्टॉकहोम' में मनाया गया। वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था। लेकिन वर्ष 1987 में इसके केन्द्र को बदलते रहने के सुझाव सामने आने लगे, और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग-अलग देशों को चुना जाने लगा। वर्तमान में हर साल 143 से अधिक देश पर्यावरण संरक्षण के लिए भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं। जिसे हर साल नए थीम के साथ मनाया जाता है।

भारत भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर शुरुआत से ही गंभीर रहा है। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण कानून बनाए, जिनके तहत 19 नवंबर 1986 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। जब पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा था तो भारत में भी पर्यावरण दिवस मनाया गया। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर आयोजित कार्यक्रम में पर्यावरण के प्रति अपनी चिंताओं को ज़ाहिर किया था।

पर्यावरण दिवस के दिन लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों के ज़रिये लोगों को पेड़-पौधे लगाने, पेड़ों को संरक्षित रखने, हरे पेड़ न काटने, नदियों को साफ़ रखने और प्रकृति से खिलवाड़ न करने जैसी चीज़ों के लिए जागरुक किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में लोगों के बीच पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल इफेक्ट आदि ज्वलंत मुद्दों और इनसे होने वाली विभिन्न समस्याओं के प्रति सभी लोगों को जागरूक करना और पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्‍हें हर संभव प्रयास करने के लिए प्रेरित करना है।

पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु यह दिवस बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता है। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित "विश्व पर्यावरण दिवस" दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है। आज पर्यावरण का बिगड़ता संतुलन और बढ़ते प्रदूषण से पूरी दुनिया जूझ रही है। इन गंभीर समस्‍याओं से उबरने का एक मात्र उपाय दुनियाभर के पर्यावरण को हरा भरा बनाना और प्रदूषण रहित करना है।

पर्यावरण दिवस के मौके पर हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाने चाहिए। इस मौके पर हम अपने आस पास के वातावरण में पेड़ लगा कर अपना योगदान दे सकते हैं तथा दूसरों के भी इसके लिए प्रेरित कर सकते हैं। हम विभिन्न आयोजनों में जाकर जागरूकता फैलाने का काम कर सकते हैं। तथा लोगों से पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण के उपाय ढूंढ सकते हैं।

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