शकुंतला देवी: जिनके लिए गणित की गणनाएँ बाएँ हाथ का खेल थीं

शकुंतला देवी ने अपनी सांख्यिकीय गणनाओं से सभी को हैरान कर दिया था. बेहद कम उम्र में ही पिता द्वारा प्रतिभा को पहचाने जाने के बाद विश्व ने भी उनकी योग्यता का ससम्मान स्वागत किया. उन्हें ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ भी कहा जाने लगा. वे पहली भारतीय थीं, जिन्होंने समलैंगिकों पर एक किताब लिखी.
shakuntala_devi_1e876fc960.jpg

Cover Image Caption

वे जब तीन साल की थीं उनके पिता ने भांप लिया था कि उनमें संख्याओं को याद रखने की ज़बरदस्त क्षमता है. उन्होंने सर्कस की अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी बेटी की गणितीय क्षमताओं को लेकर स्कूल-कोलेजों में रोड शो करने लग गए. छह की उम्र तक आते-आते शकुंतला देवी की अंक गणित की योग्यता मैसूर यूनिवर्सिटी तक पहुँच गयी. इसके पीछे कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं थी. उनके पिता द्वारा चल रहा रोड शो जल्द ही विदेश यात्राओं में बदल गया और वे विश्व स्तर पर छोटी-सी उम्र में भारतीय गणितज्ञ कहलाने लग गयी. उन्हें लोग ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ कहने लग गए. जिसके लिए उन्होंने बाद के वर्षों में दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी, “मुझे यह नाम कभी पसंद नहीं आया.”

जो लोग उनके शो में जाते थे निरुद्देश्य ही उनसे तरह-तरह की संख्याओं के जोड़ -गुणनफल पूछ लेते थे या फलाना साल के फलाना महीने की तारीख़ पूछ लेते थे और शकुंतला अप्रत्याशित रूप से उनके त्वरित और सही उत्तर दे देती थीं. आम लोग ही नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी युनिवर्सिटीयों के प्रोफ़ेसर तक चकित होकर बोल देते थे, “यह कैसे कर लेती है?” उन्होंने अपनी योग्यता से इंसानों के दिमाग़ की गतिशीलता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

वे इंदिरा गांधी की कड़ी आलोचक थीं. 1980 के लोकसभा चुनाव में वे दो जगह से मैदान में उतरीं, एक मुंबई दूसरी मेडक. मेडक में वे इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ खड़ी हुईं. हालाँकि, वे दोनों ही जगह नहीं जीत पाई. मेडक में इंदिरा गांधी जीतकर एक फिर भारत की प्रधानमंत्री बनी. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी शकुंतला देवी नौवे स्थान पर रही.

एक बेहद सामान्य परिवार में जन्मी, अपनी अविश्वसनीय प्रतिभा के चलते दुनिया भर में नाम कमाने वाली शकुंतला देवी ने वह सबकुछ किया जिनमें उनका मन रमा. कईं लोग हैं जिन्होंने उन्हें गणितज्ञ नहीं माना, ‘नम्बरों के साथ खेलने वाली’ एक विलक्षण प्रतिभा ही समझा. सभी के अपने-अपने मत होते हैं. लेकिन, अपने जीवन में उन्होंने कईं लोगों का गणित और संख्याओं के प्रति रुझान पैदा किया. ऐसा कहते हैं, उनकी वजह से कईं विद्यार्थियों ने उस दौर में गणित को अपना विषय चुना. 2013 में उम्र के आख़िरी पड़ाव में इस विलक्षण प्रतिभा का हृदयगति रुकने से मृत्यु हो गयी. हाल ही के दिनों में उन पर विद्या बालन अभिनीत एक फ़िल्म भी बनी - जिसका नाम था, ‘शकुंतला देवी’.

वे सिर्फ़ संख्याओं से ही प्रेम नहीं करती थी. वे मानवीय भावनाओं की भी कद्र करती थीं. 1960 में, उनकी शादी आईएस अधिकारी परितोष बनर्जी से शादी हुई. उन दोनों की एक बेटी भी हुई. लेकिन, कुछ ही सालों के बाद दोनों के बीच तलाक हो गया. 2001 में आई एक डॉक्युमेंट्री ‘ फ़ॉर स्ट्रेट्स ऑनली’ में यह दावा किया गया कि दोनों की शादी टूटने के पीछे की वजह परितोष बनर्जी का समलैंगिक होना था. उन्होंने उसी डॉक्युमेंट्री में कहा कि उनकी समलैंगिकों को जानने-समझने, उनकी परेशानियों को और क़रीब से देखने और समझने की खोज जारी है. समलैंगिकों के प्रति उनका सम्मान और उन्हें समाज में इज्ज़त दिलाने के लिए वे हमेशा आगे रही. 1977 में उनके द्वारा लिखी किताब ‘द वर्ल्ड ऑफ़ होमोसेक्सुअल’ भारत में समलैंगिकों को लेकर लिखी पहली किताब थी. जिसमें भारत और विदेश के समलैंगिकों के साक्षात्कार थे और शकुंतला देवी का शोध शामिल था. उसी किताब में उन्होंने लिखा है, “अनैतिक वह नहीं है जिसके यौन संबंध या यौन इच्छाएँ सामाजिक रिवाज़ों से अलग हो – अनैतिक वे हैं जो उन लोगों को दण्डित करते हैं.” इसके अलावा भी उन्होंने कईं और किताबें भी लिखीं जिनमें गणित, ज्योतिष विज्ञान, खाने की विधि के साथ-साथ उपन्यास भी थे.

1980 में इम्पीरियल कॉलेज, लन्दन में एक सेमिनार के दौरान उन्होंने 13 संख्याओं के दो नुम्बरों का गुणनफल का जवाब मात्र 28 सेकंड्स में दे दिया. इस घटना ने उनको सही मायने में विश्वमंच पर बैठा दिया. उनके संख्याओं के प्रति रुझान ने उन्हें ज्योतिष विद्या की ओर भी मोड़ा. उस समय के नामचीन ज्योतिषी भी शकुंतला देवी की सटीक भविष्यवाणी पर भौंचक रह जाते थे. उनकी इस प्रतिभा को सन् 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी जगह मिली. उन्हें उस समय की हीरोइन का तमगा हासिल हुआ.

शकुंतला देवी अपने पति परितोष बनर्जी के साथ: चित्र साभार- अनुपमा बनर्जी

शकुंतला देवी अपने पति परितोष बनर्जी के साथ: चित्र साभार- अनुपमा बनर्जी

शकुंतला देवी जब वे विश्व में पहचानी जाने लगीं: चित्र साभार - The News Minute

शकुंतला देवी जब वे विश्व में पहचानी जाने लगीं: चित्र साभार - The News Minute

शकुंतला देवी आख़िरी समय का फ़ोटो: चित्र साभार - Vogue.com

शकुंतला देवी आख़िरी समय का फ़ोटो: चित्र साभार - Vogue.com

101 likes

 
Share your Thoughts
Let us know what you think of the story - we appreciate your feedback. 😊
101 Share